TRIPS waiver: भूमिका और पृष्ठभूमि

धन से पहले स्वास्थ्य

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भूमिका

सार्वजनिक धन ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वैज्ञानिक विकास के लिए रास्ता बनाया है- मगर अब कॉर्पोरेट के प्रोपेर्टी अधिकार महत्वपूर्ण दवाइयों और उपकरणों तक पहुँच पाने में बाधा बन रहे हैं और लाखों-करोड़ों लोगों की ज़िंदगी ख़तरे में डाल रहे हैं।

इसीलिए संगठनों और नागरिक समाज के साथ-साथ कई सरकारें डबल्यूटीओ से कोविड-19 टीके, दवाइयों और कोविड चिकित्सा में उपयोगी उपकरणों पर से इंटेलेक्चुअल प्रोपेर्टी के सुरक्षा उपाय हटाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि निजी मुनाफ़े को सार्वजनिक स्वास्थ्य से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए।इसीलिए संगठनों और नागरिक समाज के साथ-साथ कई सरकारें वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन (डबल्यूटीओ) से कोविड-19 टीके, दवाइयों और कोविड चिकित्सा में उपयोगी उपकरणों पर से इंटेलेक्चुअल प्रोपेर्टी के सुरक्षा उपाय हटाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि निजी मुनाफ़े को सार्वजनिक स्वास्थ्य से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए।

पृष्ठभूमि

इस महामारी में दुनिया भर के कर्मचारियों ने बहुत त्याग किए हैं।

जब सभी देशों के पास सस्ती दवाइयाँ, टीके, डायग्नोस्टिक और अन्य मेडिकल उत्पाद मौजूद होंगे, तभी कोविड का पूरी तरह इलाज हो सकता है। मगर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन द्वारा ट्रेड-रिलेटेड एस्पेक्ट्स ऑफ़ इंटेलेक्चुअल प्रोपेर्टी राइट्स(TRIPS) के तहत बड़ी फ़ार्मा कंपनियों को जो एकाधिकारिक ताक़तें दी गई हैं, उनकी वजह से कंपनियाँ अपने हिसाब से वैश्विक सप्लाइ को सीमित कर सकती हैं और मुनाफ़ा कमा सकती हैं और इसकी क़ीमतें इतनी बढ़ा सकती हैं कि इन्हें ख़रीद पाना दुनिया के ज़्यादातर हिस्से के लिए मुश्किल होगा।

फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स ने बिना थके मेहनत की है ताकि हम इस संकट से निपट सकें। उन्होंने ख़तरनाक स्थितियों में, अक्सर न के बराबर छुट्टी लेकर और बिना पीपीई किट पहने भी काम किया है। इसकी वजह से हज़ारों कर्मचारियों की सुरक्षा की कमी की वजह से मौत हो गई है।

टीकाकरण प्रक्रिया के लिए बड़ी संख्या में नए फ्रंट लाइन स्टाफ़ की ज़रूरत पड़ेगी।

जबकि हर किसी ने महामारी से निपटने के लिए मेहनत और त्याग किए हैं ऐसे में फ़ार्मा कंपनियों को एकाधिकारिक ताक़तें देकर महामारी से मुनाफ़ा कमाने का मौक़ा नहीं देना चाहिये।

अक्टूबर की शुरूआत में भारत और साउथ अफ़्रीका ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन में "कोविड-19 के बचाव, रोकथाम और इलाज के लिए TRIPS समझौते के कुछ प्रावधानों को हटाने" के लिए आधिकारिक प्रस्ताव रखा था।

तब से अब तक 55 देश इसमें शामिल हुए हैं और कई ने इसका समर्थन किया है। वेवर के बिना फ़ार्मा कंपनियाँ अन्य उत्पादकों को कोविड-19 टीका और दवाइयाँ बनाने से रोकेंगी जिसकी वजह से प्रोडक्शन में भारी कमी आएगी।

डबल्यूटीओ नियमों के अनुसार फ़ार्मा कंपनियों का मार्केट पर एकाधिकार है और वह सरकारों ले लिए भी अपने हिसाब से क़ीमत तय कर सकते हैं, जिसकी वजह से सरकारों का स्वास्थ्य इलाज के लिए रखा पैसा ख़र्च हो जाएगा।

डबल्यूटीओ समझौते में कहा गया है कि "असाधारण परिस्थितियों" में इंटेलेक्चुअल प्रोपेर्टी राइट्स को हटाया जा सकता है, ऐसी परिस्थितियाँ इस महामारी में पैदा हुई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि TRIPS समझौते की यह शर्तें वैश्विक ज़रूरत को पूरा नहीं कर सकतीं, इसलिए वेवर की ज़रूरत है।

वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइज़ेशन, यूएन ह्यूमन राइट्स एक्स्पर्ट्स, UNITAID और UNAIDS ने वेवर का समर्थन किया है। अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन आंदोलनों, जिसमें इंडस्ट्रीऑल ग्लोबल यूनियन, पब्लिक सर्विसेज़ इंटरनेशनल(पीएसआई) और इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कंफ़ेड्रेशन(आईटीयूसी) शामिल हैं, वह शुरू में ही वेवर के समर्थन में आ गए थे। हाल ही में, यूएनआई ग्लोबल यूनियन और लेबर 20 भी इसमें शामिल हुए हैं।

ट्रेड यूनियन इस वेवर के समर्थन में अहम किरदार अदा कर सकते हैं। वह यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि राष्ट्रीय सरकारों को पता चले कि स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य सार्वजनिक सेवाओं के कर्मचारियों को उनसे उम्मीद है कि वह वेवर का समर्थन करेंगे।

Key info

दुनिया भर के स्वास्थ्यकर्मी जी7 और ईयू सरकारों से कह रहे हैं कि बड़ी फ़ार्मा कंपनियों के मुनाफ़े से ऊपर जनता के स्वास्थ्य को रखा जाए। #कोविड-19 वैक्सीन और इलाज को साझा किया जाए!